महात्मा गांधी
Timeline
उस समय किसानो को एक अनुबंध 3/20 वे ( 20 कठो मे से 3 कठे) भाग पर नील की खेती करने के लिए बाध्य किया गया इसे तीनकेठिया पद्ति भी कहते है। किसोनो ने इससे छुटकारा पाने के लिए राजकुमार शुक्ल ने गांधी जी को आमंत्रित किया। तब गांधी जी ने प्रथम सत्याग्रह शुरू किया। सरकार झुक, जांच के लिए आयौग बनाया गया। इस पद्ति को समाप्त कर वसूली का 25% हिस्सा किसानो को वापस किया गया।
गांधी जी के कुशल योगदान से प्रभावित होकर रविंदर नाथ टगोर ने उन्हे "महात्मा" की उपाधि दी।
2. खेड़ा सत्याग्रह -1918
1918 मे गुजरात के खेड़ा जिले मे भीषण आकाल पड़ा। इसके बावजूद सरकार ने मालगुजारी प्रक्रिया बंद नहीं की। अपितु 23% कर ओर बढ़ा दिया। जबकि राजसव नियम के अनुसार यदि फसल का उत्पादन 1/4 से कम हो तो किसान का कर्ज देना चाहिए। इस पर गांधी जी ने कहा की यदि सरकार गरीब किसानो का कर्ज माफ कर दे तो सक्षम किसान अपने आप कर दे देंगे। सरकार ने उनकी बात मान ली।
3. अहमदाबाद मिल हड़ताल-1918
यह आंदोलन भारतीय कपड़ा मिल मालिको के विरोध मे था। यहा गांधी जी मजदूरो के बोनस को लेकर भूख हड़ताल की। यह उनकी प्रथम भूख हड़ताल थी। इसके फल स्वरूप मिल मालिक समझोते पर तैयार हो गए। मजदूरो को 35% बोनस मिला।
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4. खिलाफत आंदोलन - 1919-1922
उदेश्य: तुर्की मे खलीफा के पद को पुन: स्थापना के लिए अंग्रेज़ो पर दबाब बनाना।
कारण: प्रथम विश्व युद्ध में हार के कारण तुर्क के खलीफा (मुसलमान को सबसे पाक पद) को हटा दिया गया। उनके पद को हटा दिया गया ओर कठोर शर्तो ने आग मे घी का काम किया ।
इसी कारण भारत मे मुसलमानो ने अंग्रेज़ो के खिलाफ खिलाफत आंदोलन चलाया। ओर 17 अक्टूबर 1919 को अखिल भारतीय खिलाफत दिवस बनाया गया ओर आंदोलन आरभ हो गया। 10 अगस्त 1920 को सम्पन्न सीवर्स संधि के बाद तुर्की का विभाजन हो गया।
मोलना मो॰ अली ओर शोकत अली ने खिलाफत कमेटी का गठन किया। इस आंदोलन को कांग्रेस ने समर्थन दिया। जब मुस्तफा कमाल पाशा के नेत्र्तव मे टर्की के खलीफा का पद समाप्त कर दिया गया तो 1922 में यह आंदोलन अपने आप ही खतम हो गया।
5. असहयोग आंदोलन -1920-1922
कारण:गांधी जी को रोल्ट एक्ट व मटेक़ुय चेम्सफोर्ड सुधारमें बड़ा आघात लगा। मुसलमानो ने भी खिलाफत कमेटी का गठन किया ओर खिलाफत आंदोलन शूरू कर दिया। गांधी जी अंग्रेज़ो के खिलफ़ा असहयोग आंदोलन शुरू कर दिया।
उदेश्य: ब्रिटिश की आर्थिक, सामाजिक व राजनीतिक संस्था का बहिसकार करना।
शुरुवात: 1920 में रास्तरीय कॉंग्रेस अधिवेशन कोलकाता से। बाद मे कांग्रेस के नागपुर मे इसे स्वीकृति मिली।
जनवरी 1921 में कांग्रेस द्यारा गांधी जी के नेत्र्तव मे ईमानदारी पूर्वक आंदोलन का प्रारम्भ हुआ।
आंदोलन सफल बनाने के कुछ सफल प्रयास:
सरकारी उपाधि, वैतनिक व अवैतनिक पदो का त्याग।
सरकारी उत्सव व दरबारो मे शामिल न होना।
सरकारी व अर्धसरकारी स्कूल का त्याग।
1919 के अधिनियम अनुसार होने वाले चुनावो का बहिस्कार।
सरकारी अदालतों का बहिसकार, विदेशी माल का बहिसकार।
गांधी जी वाइसराय लॉर्ड रीडिंग को सूचित किया अगर सरकार ने अपना रवैया नहीं बदला तो जल्दी ही कर ने देने का आंदोलन चलाया जाएगा।
आंदोलन समाप्ति के कारण: गांधी जी आंदोलन को पूरी तरह अहिंसक बनाना चाहते थे। लेकिन यूपी के गोरखपुर मे चोरा चोरी की हिंसक घटना(आन्दोलंकारिओ ने एक ब्रिटिश पुलिस चोकी मे आग लगा दी, इसमे 22 पुलिस वाले जिंदा जल कर मर गए ) के बाद आंदोलन स्थगित कर दिया गया।
1919 मे भारतीय शासन की समीक्षा के लिए इसका गठन किया गया।
अधियक्ष : सर साइमन कमीशन
विरोध का कारण: इस आयोग मे एक भी भारतीय नहीं था। इसलिए लोगो को लगता था भारतीयो के साथ पक्षपात होगा। अंग्रेज़ो के हितो का ध्यान रखा जाएगा।
बहिस्कर का निर्णय: कॉंग्रेस के मद्रास अधिवेशन (1927) मे एम.ए. अंसारी की अध्यक्षता में।
भारत आगमन: 3 फरवरी 1928 बंबई भारत आया।
कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
जब लाहोर लाठीचार्ज मे लाला लाज पतराय घायल हुए तो उन्होने कहा: " मेरे उपर लठियों से किया गया एक एक वार अँग्रेजी शासन की ताबूत की आखरी कील साबित होगी।" 1928-29 के बीच कमीशन दो बार भारत आया ओर मई 1930 मे अपनी रिपोर्ट दी जिस पर लंदन मे आओजित गोलमेज़ सम्मलेन पीपर विचार होना था।
नेहरू रिपोर्ट 1928
साइमेन कमीशन के विरोध मे दिल्ली मे 12 फरवरी 1928 को सर्वदलीय सम्मेलन हुई जिसमे 29 संगठन ने भाग लिया। लॉर्ड बर्कनहेड( भारतीय सचिव) ने राष्ट्र को ऐसा सविधान देने की चुनोती दी जिसे सभी सविकार करे।
19 मई मे नेहरू की अध्यक्षता मे एक समिति का गठन किया गया जिसे सारी सविधान का मसोदा तयार करने का काम सोपा गया।
मुख्य सिफ़ारिशे: नया सविधान "स्वतंत्र पुनिवेश", "धर्मनिरपेक्ष", "संघीय", "लोकतान्त्रिक" से बना हो।
दांडी मार्च (नमक सत्याग्रह) 1929
Dec 1929, लाहोर कॉंग्रेस अधिवेशन मे 26 जनवरी को स्वतन्त्रता दिवस घोषित किया गया। पूर्ण स्व्रज्य के लिया राष्ट्रिय आंदोलन शुरू किया। गांधी जी ने घोषणा की "शैतान ब्रिटिश शासन" के समक्ष समर्पण "ईश्वर व मानवता के वीरुध अपराध है।" इसके साथ 26 जनवरी 1930 को पूरे देश मे "स्वतन्त्रता दिवस" मनाया गया।
गांधी जी ने 12 मार्च 1930 को साबरमती आश्रम से 78 अनुयाई के साथ 24 दिन की पद यात्रा की व 5 अप्रैल को दांडी पहुचकर नमक का कानून तोड़ा। (385-390km)
सुभाषचंद्र ने इसकी तुलना नेपोलियन के पेरिस मार्च व मुसोलनी के रॉम मार्च से की।
धरसना मे नमक सत्याग्रह का नेत्र्तव सरोजनी नायडू, इमाम साहब मनीलाल(गांधी के पुत्र) ने किय।
उत्तर पूर्व मे इस आंदोलन का नेत्र्तव 13 वर्षीय नागा महिला ने किया। जवाहर लाल ने उसे रानी की उपाधि दी। इन्हे नागालैंड का " जॉन ऑफ आर्क" भी कहा जाता है।
सविनय अवज्ञा आंदोलन - 1930
यह आंदोलन ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध भारतीय राष्ट्र कांग्रेस व मुख्य रूप से गांधीजी ने चलाया।
कारण: "यंग इंडिया" समाचार पत्र मे लेख द्वारा ब्रिटिश सरकार से "'11 सूची अंतिम माँगपत्र" जिसमे पूर्ण साम्राज्य की मांग नहीं थी, प्रस्तुत किया गया।गांधीजी ने 41 दिनों तक ब्रिटिश सरकार का इंतजार किया।जब
सरकार ने मांग नहीं मानी तो 6 अप्रैल 1930 को दांडी मार्च से सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया गया।
11 सूची मांग पत्र
1- भूमि कर 50% की कमी
2- नमक कर व सरकार का नमक पर एकाधिकार समाप्त
3- तटीय संचार पर भारतीयो के लिए आरक्षण
4- रुपया विनिमय मे अनुपात को कम करना
5- देशी कपड़े उधयोग को सरंक्षण देना
6- सैनिको खर्च पर 50% कमी
7- सिविल प्रशासन पर 50% खर्च पर छूट।
8- मादक दर्व पर पूरी रोक
9- सभी राजनीति कैदियो की रिहाई
10- CID मे परिवर्तन
11- आर्म्स एक्ट मे परिवर्तन- जिसमे नागरिक अपनी सुरक्षा के लिए हथियार रख सके।
उदेश्य: कुछ विशेष गैरकानूनी कार्य कर ब्रिटिश सरकार को झुका देना।
प्रभाव: ब्रिटिश सरकार ने आंदोलन दबाने के लिए विशेष कदम उठाए।गांधीजी समेत कई बड़े नेताओ को जेल में बंद कर दिया गया।
गांधी - इवरीन समझोता: ब्रिटिश - राजनैतिक काँग्रेस व गांधी जी के साथ लगातार प्रयासो के बाद जनरल लॉर्ड इरविन ने मार्च 1931 मे एक समझोते पर हस्तताक्षर किए जिसे गांधी इरविन समझोता कहते है।
गांधी - इवरीन समझोता उदेश्य: इसके तहत कॉंग्रेस की ओर से दूसरे गोलमेज़ सम्मलेन मे भाग लेने, सविनय अवज्ञा आंदोलन बंद करने की एव पुलिस ज्यादती पर जांच के लिए दवाब नहीं देने की बात मान ली गई। हिंसा की कैदियो को छोड़ सभी की रिहाई आदि बात मान ली गई।
दूसरा गोलमेज़ सम्मेलन 1931 : गांधी जी में कॉंग्रेस सदस्य की ओर से दूसरे गोलमेज़ सम्मेलन मे भाग लीआ। लेकिन सांप्रदायिक समस्या के कारण यह असफल रहा। सरकार ने दमन करी नीति फिर से शुरू कर दी। इस कारण जनवरी 1932 मे फिर से सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हो गया।
भारत छोड़ो आंदोलन 9 अगस्त 1942
आरंभ: भारत को जल्दी आजादी दिलाने के लिए महात्मा गांधी ने अँग्रेजी शासन के विरुद्ध मे एक बड़ा फैसला। इसका मूलमंत्र "करो या मरो" Do or Die"
परिणाम: यह आंदोलन भारत की स्वतंत्रता भले ही करवा पाया हो, लेकिन इसके दूरगामी सुखदाई रहा। इसे भारत की स्वधिनता के लिए अंतिम प्रयास कहा गया।
गांधी जी की निधन पर उन्हे कंधा देने के मुस्लिम अबुल कलाम आजाद , देश के पहले शिक्षा मंत्री बने।
शहीद दिवस - 30 जनवरी को गांधी जी की पुण्यतिथि पर बनाई जाती है।
गांधी जी की समाधि यमुना किनारे नई दिल्ली में राज घाट नामक जगह पर है। जिसका चबूतरा काले संगमरमर का है।
गांधी जी का जन्मदिन 2 अक्टूबर गांधी जयंती के रूप मे मनाया जाता है इसे पूरे विश्व मे अंतराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप मे भी बनाया जाता है।
गांधी जी को महात्मा (संस्कृत) व बापू (गुजरती) नामो से भी जाना जाता है।
गांधी जी को महात्मा की उपाधि रविंदर नाथ टगोर व राष्ट्रपिता सुभाष चंद्र बोष ने दी।
गांधी जी पंसारी जाती के थे।
गांधी जी जब इंग्लैंड गए तो जहाज का नाम M.S राजपूतना था।
- जन्म: 2 अक्टूबर 1869
- माता: पुतली बाई
- पिता: करम चंद गांधी
- पत्नी: कस्तूरबा गांधी
- पुत्र: हरीलाल, मणिलाल, रामदास, देव दास
- निधन: 30 जनवरी 1948
Timeline
- 1869: जन्म 2 अक्टूबर, पोरबंदर काठियावड गुजरात।
- 1876: प्राइमरी स्कूल मे अध्ययन, कस्तूरबा से सगाई
- 1881: 13 साल मे कस्तूरबा से विवाह
- 1883: 63 वर्ष की आयु मे पिता का निधन
- 1888: प्रथम पुत्र का जन्म, वकालत के लिए विदश रवाना।
- 1891: वकालत के बाद भारत लोटे, माता का निधन, बंबई तथा राजकोट मे वकालत की।
- 1893: भारतीय मुस्लिम के केस मामले मे साउथ अफ्रीका के ट्रांसवाल की राजधानी प्रिटोरिया गए। वहा सभी प्रकार के रंग भेद का सामना करना पड़ा।
- 1894: साउथ अफ्रीका रहकर समाज काम व वकालत करने का फासला लिया। नेटाल इंडियन काँग्रेस की स्थापना की।
- 1896: 6 महीने भारत रहे व पत्नी व दो पुत्रो को साथ ले गए।
- 1899: ब्रिटिश सेना के लिए बोयर युद्ध में भारतीय एम्बुलेन्स सेवा शुरू की।
- 1901: सपरिवार भारत लोटे।कोलकाता मे वकालत का ऑफिस खोला।
- 1902: भारतीय समुदाय के बुलाने पर वापिस साउथ अफ्रीका लोटे।
- 1903: जोहन्स्बेर्ग में वकालत का ऑफिस खोला, "इंडियन ओपिनियन" की स्थापना की।
- 1904: इंडियन ओपिनियन की साप्ताहिक पत्र का प्रकाशन शुरू किया।
- 1906: जलू विद्रोह के दोरान "भारतीय एम्ब्युलेन्स" शुरू की, "एशियाटिक ऑर्डिनेन्स" के विरोध प्रथम "सत्याग्रह" शुरू किया।
- 1907: "ब्लॅक एक्ट" भारतीयो तथा अन्य एशियाई लोगो के जबरदस्ती पंजीकरण के विरुद्ध "सत्याग्रह"।
- 1908:सत्याग्रह के लिए प्रथम बार जोहन्स्बेर्गमे कारावास दंड, आंदोलन जारी रहा दूसरे सत्याग्रह मे परमाणपत्र जलाए गए।
- 1909: "सिविल डिसओबीडीनस" से प्रभावित होकर लियो टोल्स्टोय से पत्राचार शुरू किया, जून मे भारतीयो का पक्ष रखने इंग्लैंड गए, नवम्बर- साउथ अफ्रीका वापिस आकर "हिन्द स्वराज" लिखा।
- 1910: जोहन्स्बेर्ग के नजदीक टोल्स्टोय फार्म की स्थापना की।
- 1913: रंग भेद व दमनकारी नीतियो के विरोध सत्याग्रह जारी रखा। "द ग्रेट मार्च" का नेत्र्तव किया जिसमे 2000 भारतीय खदान कर्मी ने न्यूकलास से नेटाल तक की पद यात्रा की। आखरी मे सरकार को झुकना पड़ा।
- 1914: जून- गांधी-समटस समझोते से समस्या समाधान हुआ ओर गांधी जी भारत लोटे। स्वदेश लोटते समय गांधी जी ने इंग्लैंड मे एक भारतीय अस्पताल की इकाई शुरू की, जिसके लिए वापिस जाने पर उन्हे "केसर-ए-हिन्द" की स्व्रण पदक दिया गया।
- 1915: 21 वर्ष के प्रवास के बाद भारत लोटे। मई- कोचरब मे सत्याग्रह आश्रम की स्थापना की जो 1917 मे साबरमती की किनारे स्थापित हुआ।
- 1916: फरवरी- बनारस हिन्दू विश्वविध्यलय मे उढ़घाटन भाषण।
- सत्याग्रह की प्रेरणा गांधी जी ने डेविड थोर के लेख "सिविल डिसओबीडीनंस", लियो टोल्स्टोय के "किंगडम ऑफ गाड इज विदइन यू", जॉन रस्किन की "अनट दिस लास्ट" व एमसरन के विचारो से ली।
- सत्याग्रह "सत्य" व "अहिंसा" पर आधारित है।
- सत्याग्रह का शाब्दिक अर्थ "सत्य पर चलन/पकड़ना"।
- गांधी जी के राजनीति गुरु "गोपाल कृष्ण गोखले" थे, गोखले जी की सलाह पर उन्होने भारत मे 2 वर्ष भरमण किया(1915-16)।
- 1917-18 के बीच 3 मुख आंदोलन शुरू किए ।
- 1917- चंपारण, बिहार
- 1918- खेड़ा मे कर नहीं(No Taxation) आंदोलन,
- 1918- अहमदाबाद मे मिल मजदूरो की लड़ाई लड़ी।
उस समय किसानो को एक अनुबंध 3/20 वे ( 20 कठो मे से 3 कठे) भाग पर नील की खेती करने के लिए बाध्य किया गया इसे तीनकेठिया पद्ति भी कहते है। किसोनो ने इससे छुटकारा पाने के लिए राजकुमार शुक्ल ने गांधी जी को आमंत्रित किया। तब गांधी जी ने प्रथम सत्याग्रह शुरू किया। सरकार झुक, जांच के लिए आयौग बनाया गया। इस पद्ति को समाप्त कर वसूली का 25% हिस्सा किसानो को वापस किया गया।
गांधी जी के कुशल योगदान से प्रभावित होकर रविंदर नाथ टगोर ने उन्हे "महात्मा" की उपाधि दी।
2. खेड़ा सत्याग्रह -1918
1918 मे गुजरात के खेड़ा जिले मे भीषण आकाल पड़ा। इसके बावजूद सरकार ने मालगुजारी प्रक्रिया बंद नहीं की। अपितु 23% कर ओर बढ़ा दिया। जबकि राजसव नियम के अनुसार यदि फसल का उत्पादन 1/4 से कम हो तो किसान का कर्ज देना चाहिए। इस पर गांधी जी ने कहा की यदि सरकार गरीब किसानो का कर्ज माफ कर दे तो सक्षम किसान अपने आप कर दे देंगे। सरकार ने उनकी बात मान ली।
3. अहमदाबाद मिल हड़ताल-1918
यह आंदोलन भारतीय कपड़ा मिल मालिको के विरोध मे था। यहा गांधी जी मजदूरो के बोनस को लेकर भूख हड़ताल की। यह उनकी प्रथम भूख हड़ताल थी। इसके फल स्वरूप मिल मालिक समझोते पर तैयार हो गए। मजदूरो को 35% बोनस मिला।
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4. खिलाफत आंदोलन - 1919-1922
उदेश्य: तुर्की मे खलीफा के पद को पुन: स्थापना के लिए अंग्रेज़ो पर दबाब बनाना।
कारण: प्रथम विश्व युद्ध में हार के कारण तुर्क के खलीफा (मुसलमान को सबसे पाक पद) को हटा दिया गया। उनके पद को हटा दिया गया ओर कठोर शर्तो ने आग मे घी का काम किया ।
इसी कारण भारत मे मुसलमानो ने अंग्रेज़ो के खिलाफ खिलाफत आंदोलन चलाया। ओर 17 अक्टूबर 1919 को अखिल भारतीय खिलाफत दिवस बनाया गया ओर आंदोलन आरभ हो गया। 10 अगस्त 1920 को सम्पन्न सीवर्स संधि के बाद तुर्की का विभाजन हो गया।
मोलना मो॰ अली ओर शोकत अली ने खिलाफत कमेटी का गठन किया। इस आंदोलन को कांग्रेस ने समर्थन दिया। जब मुस्तफा कमाल पाशा के नेत्र्तव मे टर्की के खलीफा का पद समाप्त कर दिया गया तो 1922 में यह आंदोलन अपने आप ही खतम हो गया।
5. असहयोग आंदोलन -1920-1922
कारण:गांधी जी को रोल्ट एक्ट व मटेक़ुय चेम्सफोर्ड सुधारमें बड़ा आघात लगा। मुसलमानो ने भी खिलाफत कमेटी का गठन किया ओर खिलाफत आंदोलन शूरू कर दिया। गांधी जी अंग्रेज़ो के खिलफ़ा असहयोग आंदोलन शुरू कर दिया।
उदेश्य: ब्रिटिश की आर्थिक, सामाजिक व राजनीतिक संस्था का बहिसकार करना।
शुरुवात: 1920 में रास्तरीय कॉंग्रेस अधिवेशन कोलकाता से। बाद मे कांग्रेस के नागपुर मे इसे स्वीकृति मिली।
जनवरी 1921 में कांग्रेस द्यारा गांधी जी के नेत्र्तव मे ईमानदारी पूर्वक आंदोलन का प्रारम्भ हुआ।
आंदोलन सफल बनाने के कुछ सफल प्रयास:
सरकारी उपाधि, वैतनिक व अवैतनिक पदो का त्याग।
सरकारी उत्सव व दरबारो मे शामिल न होना।
सरकारी व अर्धसरकारी स्कूल का त्याग।
1919 के अधिनियम अनुसार होने वाले चुनावो का बहिस्कार।
सरकारी अदालतों का बहिसकार, विदेशी माल का बहिसकार।
गांधी जी वाइसराय लॉर्ड रीडिंग को सूचित किया अगर सरकार ने अपना रवैया नहीं बदला तो जल्दी ही कर ने देने का आंदोलन चलाया जाएगा।
आंदोलन समाप्ति के कारण: गांधी जी आंदोलन को पूरी तरह अहिंसक बनाना चाहते थे। लेकिन यूपी के गोरखपुर मे चोरा चोरी की हिंसक घटना(आन्दोलंकारिओ ने एक ब्रिटिश पुलिस चोकी मे आग लगा दी, इसमे 22 पुलिस वाले जिंदा जल कर मर गए ) के बाद आंदोलन स्थगित कर दिया गया।
- 1919: रोल्ट एक्ट बिल पास किया गया जिसमे भारतीय को आम अधिकार छिन लिए गए।विरोध मे पहला राष्ट्रवादी जन सत्याग्रह शुरु किया गया। अँग्रेजी साप्ताहिक पत्र यंग इंडिया व गुजरती साप्ताहिक पत्र नवजीवन के संपादक का पद ग्रहण किया।
- 1920: अखिल भारतीय होमरुल के अध्यक्ष चुने गए। हिन्द ए केसरी की उपाधि लोटाइ। दूसरा राष्ट्रयवापी सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया।
- 1921: बंबई मे विदेशी वस्त्रो की होली जलायी, समप्रदाई हिंसा के विरोध मे बंबई मे 5 दिन का उपवास एव वयापक अवज्ञा आंदोलन शुरू किया।
- 1922: चोरा चोरी की हिंसक घटना के बाद जन आंदोलन खत्म किया। उन पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया। उन्होने स्व्यम को दोषी माना। जज बर्मफील्ड ने 6 वर्ष की सजा सुनाई।
- 1923: "दक्षिण अफ्रीका मे सत्याग्रह" पुस्तक तथा आत्मकथा के कुछ अंश लिखे।
- 1924: सांप्रदायिक एकता के लिए 21 दिन का उपवास रखा। बेलगाम मे कांग्रेस अधिवेशन के अध्यक्ष चुने गए।
- 1925: 1 वर्ष के राजनैतिक मोन का फैसला लिया।
- 1928: कोलकाता कॉंग्रेस अधिवेशन मे भाग लिया "पूर्ण सवराज्य" का आव्हान।
- 1929: लाहोर कॉंग्रेस अधिवेशन मे 26 जनवरी को स्वतन्त्रता दिवस घोषित किया गया। पूर्ण स्व्रज्य के लिया राष्ट्रिय आंदोलन शुरू किया।
- 1930: इतिहासिक नमक सत्याग्रह - साबरमती से दांडी तक की यात्रा की "सविनया अवज्ञा आंदोलन"
- 1931: गांधी इवरीन समझोता - दूसरी गोलमेज़ परिषद के लिए इंग्लैंड यात्रा, वापीसी मे महान दार्शनिक "रोमा रोला" से भेट की।
1919 मे भारतीय शासन की समीक्षा के लिए इसका गठन किया गया।
अधियक्ष : सर साइमन कमीशन
विरोध का कारण: इस आयोग मे एक भी भारतीय नहीं था। इसलिए लोगो को लगता था भारतीयो के साथ पक्षपात होगा। अंग्रेज़ो के हितो का ध्यान रखा जाएगा।
बहिस्कर का निर्णय: कॉंग्रेस के मद्रास अधिवेशन (1927) मे एम.ए. अंसारी की अध्यक्षता में।
भारत आगमन: 3 फरवरी 1928 बंबई भारत आया।
कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
जब लाहोर लाठीचार्ज मे लाला लाज पतराय घायल हुए तो उन्होने कहा: " मेरे उपर लठियों से किया गया एक एक वार अँग्रेजी शासन की ताबूत की आखरी कील साबित होगी।" 1928-29 के बीच कमीशन दो बार भारत आया ओर मई 1930 मे अपनी रिपोर्ट दी जिस पर लंदन मे आओजित गोलमेज़ सम्मलेन पीपर विचार होना था।
नेहरू रिपोर्ट 1928
साइमेन कमीशन के विरोध मे दिल्ली मे 12 फरवरी 1928 को सर्वदलीय सम्मेलन हुई जिसमे 29 संगठन ने भाग लिया। लॉर्ड बर्कनहेड( भारतीय सचिव) ने राष्ट्र को ऐसा सविधान देने की चुनोती दी जिसे सभी सविकार करे।
19 मई मे नेहरू की अध्यक्षता मे एक समिति का गठन किया गया जिसे सारी सविधान का मसोदा तयार करने का काम सोपा गया।
मुख्य सिफ़ारिशे: नया सविधान "स्वतंत्र पुनिवेश", "धर्मनिरपेक्ष", "संघीय", "लोकतान्त्रिक" से बना हो।
दांडी मार्च (नमक सत्याग्रह) 1929
Dec 1929, लाहोर कॉंग्रेस अधिवेशन मे 26 जनवरी को स्वतन्त्रता दिवस घोषित किया गया। पूर्ण स्व्रज्य के लिया राष्ट्रिय आंदोलन शुरू किया। गांधी जी ने घोषणा की "शैतान ब्रिटिश शासन" के समक्ष समर्पण "ईश्वर व मानवता के वीरुध अपराध है।" इसके साथ 26 जनवरी 1930 को पूरे देश मे "स्वतन्त्रता दिवस" मनाया गया।
गांधी जी ने 12 मार्च 1930 को साबरमती आश्रम से 78 अनुयाई के साथ 24 दिन की पद यात्रा की व 5 अप्रैल को दांडी पहुचकर नमक का कानून तोड़ा। (385-390km)
सुभाषचंद्र ने इसकी तुलना नेपोलियन के पेरिस मार्च व मुसोलनी के रॉम मार्च से की।
धरसना मे नमक सत्याग्रह का नेत्र्तव सरोजनी नायडू, इमाम साहब मनीलाल(गांधी के पुत्र) ने किय।
उत्तर पूर्व मे इस आंदोलन का नेत्र्तव 13 वर्षीय नागा महिला ने किया। जवाहर लाल ने उसे रानी की उपाधि दी। इन्हे नागालैंड का " जॉन ऑफ आर्क" भी कहा जाता है।
सविनय अवज्ञा आंदोलन - 1930
यह आंदोलन ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध भारतीय राष्ट्र कांग्रेस व मुख्य रूप से गांधीजी ने चलाया।
कारण: "यंग इंडिया" समाचार पत्र मे लेख द्वारा ब्रिटिश सरकार से "'11 सूची अंतिम माँगपत्र" जिसमे पूर्ण साम्राज्य की मांग नहीं थी, प्रस्तुत किया गया।गांधीजी ने 41 दिनों तक ब्रिटिश सरकार का इंतजार किया।जब
सरकार ने मांग नहीं मानी तो 6 अप्रैल 1930 को दांडी मार्च से सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया गया।
11 सूची मांग पत्र
1- भूमि कर 50% की कमी
2- नमक कर व सरकार का नमक पर एकाधिकार समाप्त
3- तटीय संचार पर भारतीयो के लिए आरक्षण
4- रुपया विनिमय मे अनुपात को कम करना
5- देशी कपड़े उधयोग को सरंक्षण देना
6- सैनिको खर्च पर 50% कमी
7- सिविल प्रशासन पर 50% खर्च पर छूट।
8- मादक दर्व पर पूरी रोक
9- सभी राजनीति कैदियो की रिहाई
10- CID मे परिवर्तन
11- आर्म्स एक्ट मे परिवर्तन- जिसमे नागरिक अपनी सुरक्षा के लिए हथियार रख सके।
उदेश्य: कुछ विशेष गैरकानूनी कार्य कर ब्रिटिश सरकार को झुका देना।
प्रभाव: ब्रिटिश सरकार ने आंदोलन दबाने के लिए विशेष कदम उठाए।गांधीजी समेत कई बड़े नेताओ को जेल में बंद कर दिया गया।
गांधी - इवरीन समझोता: ब्रिटिश - राजनैतिक काँग्रेस व गांधी जी के साथ लगातार प्रयासो के बाद जनरल लॉर्ड इरविन ने मार्च 1931 मे एक समझोते पर हस्तताक्षर किए जिसे गांधी इरविन समझोता कहते है।
गांधी - इवरीन समझोता उदेश्य: इसके तहत कॉंग्रेस की ओर से दूसरे गोलमेज़ सम्मलेन मे भाग लेने, सविनय अवज्ञा आंदोलन बंद करने की एव पुलिस ज्यादती पर जांच के लिए दवाब नहीं देने की बात मान ली गई। हिंसा की कैदियो को छोड़ सभी की रिहाई आदि बात मान ली गई।
दूसरा गोलमेज़ सम्मेलन 1931 : गांधी जी में कॉंग्रेस सदस्य की ओर से दूसरे गोलमेज़ सम्मेलन मे भाग लीआ। लेकिन सांप्रदायिक समस्या के कारण यह असफल रहा। सरकार ने दमन करी नीति फिर से शुरू कर दी। इस कारण जनवरी 1932 मे फिर से सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हो गया।
- 1932: यर्वदा जेल मे अस्पर्श्यों के लिए अलग चुनावी क्षेत्र के विरोध मे उपवास।
- 1933: साप्ताहिक पत्र हरिजन शुरू किया।साबरमती आश्रम का नाम बादल कर हरिजन आश्रम रख दिया।
- 1934: अखिल भारतीय ग्राम उध्योग की स्थापना की।
- 1936: वर्धा के निकट ग्राम का चुनाव किया जिसे बाद मे सेवाग्राम आश्रम बना दिया गया।
- 1937: अस्पर्शी निवारण अभियान के दोरान दक्षिण भारत की यात्रा की।
- 1940: व्यक्तिगत सत्याग्रह की घोषणा। विनोदभावे को प्रथम व्यतिगत सत्याग्रही चुना।
- 1942: "हरिजन" पत्रिका का 15 महीने बाद फिर से प्रकाशन। कृस्प मिसन की असफलता।
भारत छोड़ो आंदोलन 9 अगस्त 1942
आरंभ: भारत को जल्दी आजादी दिलाने के लिए महात्मा गांधी ने अँग्रेजी शासन के विरुद्ध मे एक बड़ा फैसला। इसका मूलमंत्र "करो या मरो" Do or Die"
परिणाम: यह आंदोलन भारत की स्वतंत्रता भले ही करवा पाया हो, लेकिन इसके दूरगामी सुखदाई रहा। इसे भारत की स्वधिनता के लिए अंतिम प्रयास कहा गया।
- 1944: 22 फरवरी को आँगा खा महल मे कस्तूरबा का 62 वर्ष के वैवाहिक जीवन पश्चात 74 वर्ष मे निधन।
- 1946: ब्रिटिश कैबिनेट मिशन से भेट, पूर्वी बंगाल के 49 गांवो का दोरा जहां सांप्रदायिक दंगो की आग भड़की हुई थी।
- 1947: सांप्रदायिक शांति के लिए बिहार की यात्रा।
- नई दिल्ली मे लॉर्ड माउंटबेटेन व जिन्ना से मुलाक़ात की।
- देश की विभाजन का विरोध, देश के स्वीधानता दिवस 15 अगस्त 1947 को , कोलकाता के दंगे शांत करने के लिए उपवास व प्रार्थना।
- 1948: जीवन का अंतिम उपवास 13 जनवरी से 5 दिनो तक दिल्ली के बिड़ला हाउस मे देश में फैली सांप्रदायिक हिंसा के विरोध में। 20 जनवरी 1948 को बिड़ला हाउस मे विस्फोट।
- 30 जनवरी 1948 को नाथुराम गोंडसे ने शाम की प्रार्थन के लिए जाते समय बिड़ला हाउस मे गांधी जी की गोली मार कर हत्या कर दी।
गांधी जी की निधन पर उन्हे कंधा देने के मुस्लिम अबुल कलाम आजाद , देश के पहले शिक्षा मंत्री बने।
शहीद दिवस - 30 जनवरी को गांधी जी की पुण्यतिथि पर बनाई जाती है।
गांधी जी की समाधि यमुना किनारे नई दिल्ली में राज घाट नामक जगह पर है। जिसका चबूतरा काले संगमरमर का है।
गांधी जी का जन्मदिन 2 अक्टूबर गांधी जयंती के रूप मे मनाया जाता है इसे पूरे विश्व मे अंतराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप मे भी बनाया जाता है।
गांधी जी को महात्मा (संस्कृत) व बापू (गुजरती) नामो से भी जाना जाता है।
गांधी जी को महात्मा की उपाधि रविंदर नाथ टगोर व राष्ट्रपिता सुभाष चंद्र बोष ने दी।
गांधी जी पंसारी जाती के थे।
गांधी जी जब इंग्लैंड गए तो जहाज का नाम M.S राजपूतना था।